वैष्णव सम्प्रदाय, भगवान विष्णु और उनके स्वरूपों को आराध्य मानने वाला सम्प्रदाय है।
श्री सम्प्रदाय जिसकी आद्य प्रवरर्तिका विष्णुपत्नी महालक्ष्मीदेवी और प्रमुख आचार्य रामानुजाचार्य हुए, जो वर्तमान में रामानुजसम्प्रदाय के नाम से जाना जाता है।
रामानुज का जन्म १०१७ ईसवी में श्रीपेरुमबुदुर नामक गाँव में भट्ट ब्राह्मण परिवार में हुआ था इनके पिता का नाम केशव भट्ट था । जो वर्तमान समय में तमिल नाडु में आता है।बचपन में उन्होंने कांची जाकर अपने गुरू यादव प्रकाश से वेदों की शिक्षा ली। रामानुजाचार्य आलवार सन्त यमुनाचार्य के प्रधान शिष्य थे।
उन्होंने वैष्णव धर्म के प्रचार के लिये पूरे भारतवर्ष का ही भ्रमण किया ११३७ ईसवी सन् में १२० वर्ष की आयु पूर्ण कर वे ब्रह्मलीन हुए।
उन्होंने यूँ तो कई ग्रन्थों की रचना की किन्तु ब्रह्मसूत्र के भाष्य पर लिखे उनके दो मूल ग्रन्थ सर्वाधिक लोकप्रिय हुए - श्रीभाष्यम् एवं वेदान्त संग्रहम्।
रामानुजाचार्य की स्मृति में ५ फरवरी २०२२ (वसन्त पञ्चमी) को हैदराबाद में समता की प्रतिमा का अनावरण किया गया जो २१६ फुट ऊँची है।
सामाजिक परिप्रेक्ष्य से रामानुजाचार्य ने भक्ति को जाति एवं वर्ग से पृथक तथा सभी के लिये सम्भव माना है, इसके अलावा रामानुजाचार्य भक्ति के द्वारा ब्रह्म को प्राप्त करके जीवन मृत्य के बंधन से छूटना यही मोक्ष है ।